Thursday, October 22, 2015

अक्सर मुझमें तू दिखता है (के.पी. अनमोल)

अक्सर मुझमें तू दिखता है
हर कोई यह क्यूँ कहता है

इक जाना-पहचाना रस्ता
दूर तलक मुझमें चलता है

कब से जाने मेरे भीतर
ग़म का इक दरिया पलता है

रातों में वो पहरों जगकर
तुझको ही माँगा करता है

तुझ में रहकर उम्र बिता दूँ
क्या ऐसा भी हो सकता है

ना जाने अनमोल मोहब्बत
दिल तुझसे ही क्यूँ करता है
                                                   - अनमोल

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