Saturday, April 4, 2015

अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू कहाँ ख़तम (शैलेन्द्र)

अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू कहाँ ख़तम 
ये मंज़िले हैं कौनसी, न वो समझ सके न हम 

ये रोशनी के साथ क्यों, धुआँ उठा चिराग से 
ये ख्वाब देखती हूँ मैं के जग पडी हूँ ख्वाब से 

मुबारके तुम्हे के तुम किसी के नूर हो गए 
किसी के इतने पास हो के सब से दूर हो गए 

किसी का प्यार लेके तुम नया जहां बसाओगे 
ये शाम जब भी आयेगी, तुम हमको याद आओगे


गीतकार : शैलेन्द्र, गायक : लता मंगेशकर, संगीतकार : शंकर जयकिशन, चित्रपट : दिल अपना और प्रीत पराई (१९६०)

Lyricist : Shailendra, Singer : Lata Mangeshkar, Music Director : Shankar Jaikishan, Movie : Dil Apana Aur Preet Parai (1960)


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